Vaccines for Pregnant Women and Children – गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान

By Sarkari Job and Yojana

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Vaccines for Pregnant Women and Children - गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान

Vaccines for Pregnant Women and Children: गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान बचपन मे होने वाली बिमारी से बचने के लिए गर्भवती महिला तथा शिशु को टीका लगाया जाता है । टीकाकरण बच्चो को जानलेवा बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावषाली एवं सुरक्षित तरीका है। टीकाकरण करने से बच्चे के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती प्रदान की जाती है और उन्हें अलग अलग जीवाणु तथा विषाणुओं से लड़ने की शक्ति भी प्रदान होती है।

Table of Contents

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान महत्वपूर्ण जानकारी

अभियान का नाम
गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान
शुरुवात19 नवम्बर, 1985
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Vaccines for Pregnant Women and Children राजस्थान टिकाकरण

राजस्थान में 19 नवम्बर, 1985 से व्यापक रोग प्रतिरक्षण कार्यक्रम को शुरु किया गया है ,जिसमें पोलियों, गलघोंटू, काली खांसी, नवजात शिशु ओ में धनुर्वात (टिटनेस), खसरा एवं बच्चों में होने वाले गम्भीर प्रकार के क्षय रोग से सुरक्षा प्रदान करने के लिये निवारक टीके लगाये जाते है। 15 दिसम्बर 2011 से इस कार्यक्रम में हेपेटाईटिस- बी का टीकाकरण भी शामिल किया गया। नवम्बर 2014 से टीकाकरण कार्यक्रम में पेन्टा वेलेन्ट वैक्सीन, दिनांक 01 अप्रैल, 2016 से आईपीवी वैक्सीन, 23 मार्च, 2017 से रोटा वायरस वैक्सीन शामिल किया किया गया है तथा 7 अप्रैल, 2018 से इसमें पीसीवी को भी शामिल किया किया गया है ।

भारत मे राष्ट्रीय  टीकाकरण  को साल 1975 में शुरु किया गया था, जिसकी शुरुवात एपी द्वारा  कि गयी थी। जिसे 1985 में बदलकर यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) का नाम देकर  पुरे भारत भर में लागू कर दिया गया। भारत का टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन का उपयोग करने, लाभार्थियों की संख्या, टीकाकरण सत्रों के आयोजन और भौगोलिक क्षेत्रों की विविधता को कवर करने के संबंध में पुरे जग भर  का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जाता है।

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जल्दी से जल्दी टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के दो टीके लगाये जाने चाहिए। इन टीकों को टीटी-1 एवं टीऊटी-2 कहा जाता है। इन दोनों टीकों के बीच 4 सप्ताह का अंतर रखना आवश्यक है। यदि गर्भवती महिला पिछले 3 वर्ष में टीटी के 2 टीके लगवा चुकी है तो उसे इस गर्भावस्था के दौरान केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगवाया जाना चाहिये।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियानटीका करण की आवश्यकता

टी टी टू, टीटी बूस्टर 

टिटॅनस रोग से बचाव करणे हेतू महिलाओ सभी गर्भवती महिलाओं को टि टि वॅक्सिन दिया जाता है जिससे महिला एवं उसके नवजात शिशु की टिटॅनस से रक्षा होती है । माना जाता है की नवजात शिशु के लिये टिटानेस जान लेवा बिमारी है, जिससे नवजात शिशु को जकडन मा सपेशियो मे गंभीर बिहारी पायी जाती है,सी वजह से सरकार की और से राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के अंतर्गत गर्भवती महिलाओ वॅक्सीन दिया जाता है । कभी-कभी पसलियों में जकड़न के कारण शिशु सांस लेणे मे तकलीफ होती है और इसी कारण उनकी मुत्यु भी हो जाती है। 

यदि गर्भवती महिला देर से अपना नाम दर्ज करती है फिर भी राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के अंतर्गत महिला को टीटी का टीका माँ और बच्चे को टिटनेस की बीमारी से बचाता है। जन्म के समय टिटॅनस का संक्रमण हो ना भारत मे नवजात शिशु की मृत्यु का प्रमुख कारण हे । इसलिए अगर गर्भवती महिला एएनसी के लिए देर से भी नाम दर्ज करवाये तो भी उसे टीटी के टीके लगाये जाते है। गर्भवती महिला को प्रसव के लगभग 4 सप्ताह पहले यह टी टी टू टीटी बूस्टर का टीका लगवाना अनिवार्य होता है इसका पूरा लाभ प्राप्त होगा । 

बीसीजि

अगर बीसीजी का टीका लगाने के बाद भी बच्चे की बाहर कोई भी निशान ना दिखे तो घबराने की कोई आवश्यकता नही है या फिर बच्चे को दोबारा टीका लगाने की भी कोई भी आवश्यकता नही है ।

पोलियो

भारत को पोलिओ मुक्त देश घोषित किया गया है फिर भी नियमित रूप से बच्चो को पोलिओ का टीका करण किया जाता है पोलिओ के संक्रमण से बच्चे रहते है जैसे की आप जानते है भारत एक पोलिओ मुक्त देश बन चुका है पर लगभग भारत के आजूबाजू जो देश है उसने भी पोलिओ पीडित लोग है और अगर किसी पोलिओ पीडित लोगो से भारत के किसी व्यक्ति को संक्रमण होने से बजाने के लिए पोलिओ खुराक हर साल बच्चो को दी जाती है ।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान – टिकाकरण की शुरुवात

नवजात शिशु को जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर ही टीका करण की सुरुवात हो जाती है सरकारी अस्पतालो या अन्य संस्थाने मे जन्मने लेने वाले सभी नवजात शिशु को बीसीजी का टीका पोलिओ की झिरो खुराक और हेपेटाईटस बी टीका लगना अनिवार्य होता है । डेड महा यांनी 6 चे सप्ताह होने पर ओ पी व्ही रोटा व्हायरस वॅक्सिन, आय पी व्ही ,पी सी व्ही यांनी न्यूमो कोकलल कोंन्जुगेट वॅक्सिन और पेंटा व्हॅलेंट का पहला टीका दिया जाता है ।

शिशु को ओपीवी, रोटा वायरस वैक्सीन और पेन्टावेलेन्ट का दूसरा टीका पहला टीका लग जाने के 28 दिन बाद दिया जाता है। दूसरा टीका लग जाने के 28 दिन बाद ओपीवी, रोटा वायरस वैक्सीन की तीसरी, एफ-आईपीवी, पीसीवी (न्यूमोकोकल कोन्जूगे ट वैक्सीन) की दूसरी और पेन्टावेलेन्ट का तीसरा टीका दिया जाता है ।

 लगभग शिशु के  माह पुरे होने के बाद खसरे के टिके के साथ साथ विटामिन की पहली खुराक तथा  पीसीवी (न्यूमोकोकल कोन्जूगेट वैक्सीन) बूस्टर खुराक दी जाती है। खसरे एवं विटामिन ए की दूसरी खुराक 16 से 24 माह का होने पर बच्चे को दी जाती है।

बच्चे के 5 साल पूर्ण होने तक 6 माह के अन्तराल पर विटामिन ‘ए’ की कुल 9 खुराके दी जानी अनिवार्य है ।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान – बीमार अवस्था मे टीकाकरण

सर्दी खासी जुकाम दस्त रोग उपोषण जैसी आम बिमारीयो की वजह से टीका करण मे रुकावट नही होनी चाहिये क्योंकि बिमारी ओके अपेक्षा टीका करण ना लगवाने वाली बिमारीया जादा खतरनाक होती है । इसीलिए बीमार अवस्था मे भी बच्चो को टीका लगाना अनिवार्य है ।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान – टीका करण खर्च

आम तोर पर वॅक्सिंग बहुत महंगी होती है मगर सरकार इन्हे खरीद कर परिवहन पर खर्च करती है और सभी ठीक आहे सभी स्वास्थ्य केंद्र मे निशुल्क प्रदान की जाती है ।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान – टीका करण स्थान

सरकारी अस्पताल, मेडीकल कॉलेज, शहरी डिस्पेंसरिया, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप केन्द्र तथा आगनबाडी केन्द्र परमा ता-पिता अपने बच्चों का टीकाकरण  करवा सकते है। ढाणियों तथा शहरी क्षेत्रों के कुछ मोहल्लों, झुम्मियों इत्यादि में एएनएम बच्चों के टीकाकरण सत्रों का आयोजन करती है।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान – टीकाकरण के बाद बुखार आने का कारण 

वॅक्सिन लगाने के बाद बच्चे को हलकासा बुखार होना इस बात का संकेत है कि बच्चे के शारीरिक तंत्र पर इस वैक्सीने अपना प्रभाव छोडा है यह बुखार प्राकृतिक रूप से हलकासा होता है ये बुखार एक दो दिन मे ठीक हो जाता है ।

विटामिन ए वॅक्सिन

विटामिन ‘ए’ कोई वैक्सीन नहीं हैं। यह एक सूक्ष्म पोषक पदार्थ है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, बच्चों की वृद्धि एवं विकास के लिये आवष्यक होता है, उन्हें रोगों से बचाता है तथा आंखों के लिये लाभप्रद होता है।

वॅक्सिन निश्चित आयु मे देने का कारण

प्राकृतिक रूप से शो मी रोग प्रतिरोधक शक्ती निश्चित आयो के बाद आ जाती है या उमर के उस दोर से गुजर चुके होते है जब बचाव किये जा सक्ने वाले लोगोसे जीवन का खतरा हो सकता है ।

कभी-कभी बच्चे को टीके की दूसरी या तीसरी खुराक दिलाने ले जा पाना संभव नहीं होता है। ऐसे में क्या सभी टीके दोबारा शुरू करने पड़ते हैं?

दोबारा टीका लगाने की कोई भी आवश्यकता नही होती है देर होने से कोई खास फरक नही पडता

नही, दोबारा टीके लगवाने की आवष्यकता नहीं होती है, देर होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। फिर भी जितना संभव हो निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही टीके लगवाने चाहिये। टीके की दूसरी और तीसरी खुराक बच्चे की पूर्ण सुरक्षा के लिये अत्यन्त आवष्यक है।• कभी-कभी बच्चे को टीके की दूसरी या तीसरी खुराक दिलाने ले जा पाना संभव नहीं होता है। ऐसे में क्या सभी टीके दोबारा शुरू करने पड़ते हैं?

दोबारा टीका लगवाने की आवश्यकता नही होती है, देर होने से कोई  फर्क नही पड़ता है। फिर भी जितना संभव हो सकते निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही टीके लगवाने चाहिये। टीके की दूसरी और तीसरी खुराक बच्चे की पूर्ण सुरक्षा के लिये अत्यंत आवश्यक है।

गर्भवती महिला और बालको के लिये टीका करण अभियान सावधानिया

टीकाकरण कराने के बाद माता पिता स्वास्थ्य केन्द्र या सत्र स्थल पर बच्चे के साथ 30 मिनट तक प्रतिक्षा अवश्य करें, ताकि किसी  विपरीत प्रभाव होने की अवस्था में बच्चे को तुरंत चिकित्सा सहायता प्रदान की  जा सके। अभिभावक इंजेक्षन लगाये जाने की जगह पर कोई दवा न लगाये और न ही उस जगह को मलें। यदि उस स्थान पर लालिमा या सूजन है तो साफ कपडे को ठण्डे पानी भिगोकर, निचोड़ कर उस स्थान रखें। बच्चे को अधिक आराम देने के लिये एएनएम बहनजी द्वारा बताई गई मात्रा के अनुरूप पैरासिटामोल की गोली दें। टीकाकरण के पश्चात मां का दूध पिलाने के उपरान्त बच्चों को कमर के बल सीधा लिटायें।

अपने समाज में हर गर्भवती महिला और हर शिशु के माता पिता को प्रेरित करें कि वे निश्चित कितें गये दिन पर टीकाकरण सत्र स्थल पर जाए एवं वहां मिलने वाली सभी सेवाओं का पूर्ण लाभ उठायें।

शिशुओं के माता पिता को बताये कि टीकाकरण कार्ड का क्या महत्व है। यह कार्ड संभाल कर रखना चाहिये तथा गर्भवती महिला या षिषु को जब भी टीका लगवाने ले जायें यह कार्ड साथ ले जाना ना भूलें।

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